Monday, December 8, 2008

मुझे कैसे रोकोगे?


मैं एक औरत हूं....ये बात मैं कभी भूलती नहीं हूं, और कभी भूलना चाहती भी नहीं हूं। लेकिन फिर भी वो मुझे बार-बार याद दिलाते हैं कि हां तुम एक औरत हो। एक दूसरे दर्जे की प्राणी। वो मेरे प्रवाह को रोकना चाहते हैं, मुझे जंजीरों में कैद करना चाहते हैं। वो डरते हैं कि कहीं मैं उनकी बनाई सीमाओं को तोड़ ना दूं, वो घबराते हैं कि कहीं मैं उनकी पहुंच से दूर उड़ ना जाऊं। वो हर रोज़ मेरे सामने एक दीवार खड़ी करते हैं, लेकिन मैं...मैं एक ही फलांग में उस दीवार को फांद जाती हूं। वो और बड़ी दीवार चुनते हैं, लेकिन मुझे रोक पाना अब उनके बस में नहीं है। वो कहते हैं कि मैं कमज़ोर हूं। मैं इंकार कहां करती हूं? यही तो मेरी जीत है, वो मुझे कमज़ोर समझते हैं फिर भी मुझे बांध नहीं पाते। वो कुढ़ते हैं, झल्लाते हैं और फिर मुझे दबाने की कोशिश करते हैं। जब मैं चुप रहती हूं तो वो मेरी चुप्पी से डरते हैं। और जब में बोलने लगती हूं तो वो कान बंद कर लेते हैं। उनकी इस छटपटाहट को देखकर मैं हंसती हूं, मुंह दबाकर नहीं, खिलखिलाकर हंसती हूं। याद नहीं कि कब उनकी इस झल्लाहट से मुझे प्यार हुआ, शायद तब, जब पहली बार जब मुझे खुली हवा में सांस लेते देखकर उनकी सांसें रुक गई, या तब, जब अपनी बनाई ज़मीन पर मुझे अपनी सफलता के किले बनाते देख उनके पैरों के नीचे की ज़मीन खिसक रही थी। ये सब कुछ हो रहा था और मैं आगे बढ़ते जा रही थी। मैं बढ़ूंगी, और आगे बढ़ूंगी और तब तक बढ़ते रहूंगी जब तक तुम मुझे आगे बढ़ने से रोकते रहोगे। कहा ना मैं औरत हूं...और इस आगे बढ़ती हुई औरत को रोक पाना अब तुम्हारे लिए मुमकिन नहीं।

4 comments:

प्रिया said...

garv hai mujhe ek aurat hone par, fida hoon aapki soch par, aapki kalam par aur hamari takat par...... is blogging ka shukriya jo hamhe aapse milwa diya

Vandana Singh said...

bahut badiya ...kanchan ji orat ki jhunghlahat ko bayaann karta ye artikal bahut accha laga

Anonymous said...

hame bahut pasand hai aapki kavitaye,

aap ki soch aur usaki gahrai......

kitaab ke panno ko palat kar sochata hu, u palat jaaye zindagi to kya baat ho,
kyabo me roz jo aate hai hakiqat me aaye to kya baat ho.....

thanx...

avanish dubey

surmai said...

aurat hou ,garv hai mujhey,magar har bar log aaurat shabad ka matlab kamjori batatey hai ,shayad wo bhool jatey hai ,kee hum hee woh hai jo unhey jeena seekhatey hai.

aisa sunder aur vaicharek lakh likhnay kay liye dhanyabad.